History of Rohtak: हरियाणा का इतिहास (Haryana History) काफी महत्वपूर्ण रहा है. इस राज्य के कई सारे शहर आज भी अपनी पौराणिक मान्यता और इतिहास के चलते लोगों के बीच खूब प्रचलित हैं. आज इस आर्टिकल में हम हरियाणा के खास रोहतक जिले के बारे में बात करने वाले हैं. रोहतक जिले का नाम पंरपरागत रूप से राजा रोहताश के नाम पर रखा गया था. राजा रोहताश ने ही इस शहर की स्थापना की थी.
कहा जाता है कि एक समय में यह शहर पूरा जंगल था. यहां पर रोहर्रा के पेड़ हुआ करते थे. रोहर्रा को संस्कृति में ‘रोहितक’ भी कहा जाता है. उसी नाम से इस शहर का नाम रोहतक पड़ा. महाभारत काल में भी रोहितका का वर्णन किया गया है जो इस शहर के प्राचीन महत्व को भी दर्शाता है. बता दें, रोहतक को ‘द आर्ट ऑफ हरियाणा’ के नाम से भी जाना जाता है.
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रोहतक शहर में कई शासकों ने किया शासन
रोहतक शहर में बहुत सालों तक कई शासकों ने शासन किया था. अकबर के शासनकाल में जब उनके मंत्री टोडर मार्ड ने नार्थ इंडिया को प्रशासिनक हलकों में बांटा था, तो रोहतक के कुछ क्षेत्र दिल्ली में आ गए थे. रोहतक को कई बार मुगलों और सुल्तानों के द्वारा जागीर (राजा द्वारा सेवा के तौर पर व्यक्ति को मिलने वाले जमीन का टुकड़ा) के रुप में भी दिया गया था. जिससे राजपूत,अफगान, ब्राह्मण और बलूच समाज ने अलग-अलग समय पर इसके राजस्व का लाभ लिया था.
औरंगजेब के उत्तराधिकारी बहादुर-शाह-ए की मौत के बाद मुगल साम्राज्य डगमगाने लगा. इसके बाद ही यहां पर अलग-अलग स्वामी का परिवर्तन होने लगा.
30 दिसंबर, 1803 को हस्ताक्षर किए सुरजीत अर्जुनगांव की संधि द्वारा, यमुना के पश्चिम में बैठे सिंधिया की अन्य संपत्ति के साथ रोहतक क्षेत्र ब्रिटिश शासकों के पास चला गया था और उत्तरी-पश्चिमी प्रांतों के प्रशासन में यह आ गया था. मिली जानकारी के अनुसार बताया जाता है कि उस दौरान यमुनापार के बड़े प्रदेशों पर शासन और कब्जा करने का अंग्रजों का कोई इरादा नहीं था. इस समय के रोहतक, बेरी और मेहम तहसील को दुजाणा के नवाब को सौंप दिया गया था.
बाद में दुजाणा के प्रमुख ने यह उपहार लेने से मना कर दिया था, तभी रोहतक जिले का गठन हुआ. हिसारे जिले की स्थापना हुई तो बेरी और महम-भिवानी तहसीलों को हिसार में और वर्तमान उत्तरी तहसीलों के अन्य हिस्सों को पानीपत शहर में शामिल किया गया था.
रोहतक शहर का हुआ गठन
साल 1824 में गोहाना, बेरी, भिवानी और रोहतक तहसीलों को मिलाकर एक अलग जिले रोहतक का गठन किया गया. रोहतक जिले के पूर्व में बहादुरगढ़ और दक्षिण में झज्जर को इसकी सीमा बनाया गया था.
लेकिन, साल 1841 में रोहतक जिले को खत्म कर दिया था. जिसके बाद गोहाना तहसील को पानीपत और बाकी अन्य बचे हुए तहसीलों को दिल्ली में स्थानांतारित कर दिया गया था. फिर एक साल बाद यानि 1842 में इस जिले का वापिस से पुर्नगठन किया गया.
नोट: यह सभी जानकारी रोहतक जिले की वेबसाइट से ली गई है.
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