Maa Bhimeshwari: महाभारत कालीन कस्बा बेरी में चैत्र नवरात्र मेले में अष्टमी के अवसर पर शनिवार को लाखों श्रद्धालुओं ने माता भीमेश्वरी देवी के अंदर और बाहर वाले मंदिर में दर्शन किए. हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष डॉ. कृष्ण लाल मिड्ढा ने भी मां के दरबार में शीश नवाया. देवी मंदिर के प्रमुख पुजारी पंडित कुलदीप वशिष्ठ ने डिप्टी स्पीकर को माता भीमेश्वरी देवी के दोनों मंदिरों से जुड़े इतिहास की विस्तार से जानकारी दी.
मंदिर से जुड़ी परंपरा जानने के बाद डिप्टी स्पीकर डॉ कृष्ण लाल मिढा ने कहा कि विश्व प्रसिद्ब माता भीमेश्वरी देवी मंदिर आकर सुखद महसूस हो रहा है. उन्होंने कहा कि जगत माता का आशिर्वाद सभी पर बना रहे,ऐसी माता से प्रार्थना करते हैं. उन्होंने कहा कि बेरी का इतिहास काफी पुराना है. एक साथ देवी माता के दो मंदिर होना अपने आप में एक इतिहास है. इन मंदिरों में महर्षि दुर्वासा के समय की पूजा पद्धति का आज भी अनुशरण हो रहा है, यह सराहनीय है.
बता दें, भीमेश्वरी देवी पाकिस्तान में स्थित देवी हिंगलाज का स्वरुप मानी जाती है.
दूसरी ओर सप्तम तिथि की रात को देवी के अंदर वाले भवन में माता के जयकारे लगाकर दूरदराज से आए भक्तों ने मां भगवती के दर्शन किये और मनोकामना की. तीन दिवसीय मुख्य मेला के चलते डीसी प्रदीप दहिया के मार्गदर्शन में जिला प्रशासन द्वारा आवश्यक प्रबंध किए गए थे श्रद्धालुओं ने प्रशासन द्वारा किए गए प्रबंधों की सराहना की. प्राचीन परंपरा के अनुरूप रोजाना की भांति सुबह के समय माता को कड़ी सुरक्षा के बीच बाहर वाले मंदिर ले जाया गया, जहां भक्तों ने महाआरती में भाग लिया. IPS अधिकारी डॉ. अर्पित जैन, डॉ. अंशु सिंगला, एसडीएम बेरी रेणुका नांदल ने सपरिवार देवी मंदिर में पूजा अर्चना की.
एसडीएम रेणुका, एसीपी अनिरुद्ध चौहान व डीआरओ प्रमोद चहल शनिवार की अलसुबह से ही मेला परिसर में स्थिति का जायजा लेते रहे. मेला में श्रद्धालुओं ने प्रशासन द्वारा मेला के चलते किए प्रबंधों की सराहना की. माता भीमेश्वरी देवी मेले में हर श्रद्धालु को बिना किसी कठिनाई के माता के दर्शन हो सकें, इसके लिए प्रशासन द्वारा आवश्यक इंतजाम किए गए थे. अष्टमी के दिन श्रद्धालुओं की संभावित भीड़ को देखते हुए प्रशासन द्वारा सभी जरूरी तैयारियां की गई थी. एसडीएम ने मेला परिसर में स्वास्थ्य विभाग की टीम को जरूरी निर्देश भी दिए.
बेरी मेला में आए अनेक श्रद्धालुओं ने अपने नवजात शिशुओं के मुंडन और गठजोड़ों की जात लगाकर माता भीमेश्वरी देवी के दर्शन किए. इसके बाद बाय तालाब से मिट्टी निकालकर पुरानी परंपरा को बरकरार रखा. बताया जाता है कि प्राचीन काल से ही माता के दर्शन उपरांत तालाब से मिट्टी निकाली जाती थी, जिसके कारण आज भी मान्यता के अनुरूप आज भी देवी दर्शन को आने वाले भक्तों ने मंदिर के साथ लगते तालाब से मिट्टी निकालकर सेवा की. तालाब पर सुरक्षा के मद्देजनर स्टील की ग्रिल लगाई गई हैं.
मेला में माता के दर्शन को आने वाले भक्तों की रेडक्रॉस वालेंटियरस और स्काउट्स के विद्यार्थियों ने दिन भर की सहायता की.
रेडक्रॉस वालिंटियर ने सोसायटी सचिव देवेंद्र चहल के मार्गदर्शन में वृद्ध और दिव्यांगों को मंदिर तक पहुँचाया और माता के दर्शन कराए. इतना ही नहीं रेडक्रॉस वालिंटियर ने भी श्रद्धालुओं की सहायता में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं छोड़ी.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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