Waqf Board Properties in Haryana: वक्फ संशोधन विधेयक 2024 (Waqf Amendment Bill, 2024) दोनों सदनों में पारित हो चुका है. इस समय वक्फ बोर्ड पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. जहां कुछ लोग इस वक्फ संशोधन विधेयक को मुस्लिम के हित में बता रहे हैं, तो कुछ इसके विरोध में भी नजर आ रहे हैं.
हरियाणा में वक्फ बोर्ड के पास कुल 12 हजार 524 वक्फ संपत्तियां हैं. 8,207 वक्फ संपत्ति ग्रामीण इलाके में है और बाकी की 4317 संपत्ति शहरी इलाके में है.
हरियाणा के मुस्लिम बाहुल्य इलाके नूंह (Nuh) में वक्फ भी सबसे ज्यादा 2218 संपत्तियां है. जबकि दूसरे स्थान पर 246 वक्फ संपत्ति के साथ गुरुग्राम है. वहीं तीसरे स्थान पर 253 संपत्ति के साथ रेवाड़ी है.
हरियाणा वक्फ बोर्ड में कुल जमीन
हरियाणा के नूंह जिले में सबसे ज्यादा 33749 जमीने हैं. दूसरे स्थान पर 17943 जमीनों के साथ कुरुक्षेत्र है. तीसरे स्थान पर महेंद्रगढ़ जिला है. जिसमें 15399 जमीनें है. बता दें, साल 2013 से 2016 तक कुल 52.02 करोड़ रुपये की आय हुई है.
संशोधन के बाद वक्फ संपत्तियों से जरुरतमंद लोगों को मिलेगा फायदा
गुरुग्राम वक्फ बोर्ड के पास कुल 246 संपत्ति है, जिसकी कीमत इस समय करोड़ो में है. लोगों का मानना है कि सरकार की ओर से उठाया गया यह कदम सराहनीय है. अब जमीनों का इस्तेमाल सही ढंग से होगा.
मु्स्लिम एकता मंच के चेयरमैन हाजी शहजाद खान ने भी खुलकर वक्फ संशोधन बिल 2024 की तारीफ की है. उनका कहना है कि यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था. बिल का दोनों सदनों में पास होना बहुत अच्छी बात है. अब बोर्ड एक व्यवस्थित ढंग से काम कर जरुरतमंद लोगों को फायदा पहुंचेगा.
शहरी के विकास के लिए ज्यादातर जमीनों का हुआ अधिग्रहण
वक्फ बोर्ड के अधिकारी का कहना है कि गुरुग्राम में वक्फ की बहुत सारी संपत्ति खी, लेकिन शहर में विकास के चलते इन जमीनों का अधिग्रहण कर लिया गया है. गुरुग्राम जिले में कुल 246 जगहों पर ऐसी जमीने हैं. ज्यादातर जमीन गांव वाले इलाकों में हैं, जहां पर अभी कब्रिस्तान, मस्जिद, मजारे और किराए की दुकानें बनी हुई है.
जमियत उलमा गुरुग्राम के प्रेजिडेंट सलीम मुफ्ती का सरकार पर फूटा गुस्सा
जमियत उलमा गुरुग्राम के प्रेजिडेंट सलीम मुफ्ती ने इस बिल का विरोध किया है. उनका कहना है कि हर धार्मिक जगहों पर कमिटियां बनी हुई है, लेकिन समुदाय पर जबरदस्ती कानून थोपा जा रहा है. सरकार को मु्स्लिम समुदाय की व्यवस्था पर दखल नहीं देना चाहिए. सरकार मुस्लिम कमिटियों की शक्तियां कानून बनने के बाद छिन जाएंगी. जिससे सरकार और प्रशासन मन चाहा फैसला ले सकते हैं.
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