Maha kumbh Mela 2025: प्रयागराज महाकुम्भ अब समापन की ओर बढ़ रहा है. तीन अमृत और दो विशेष पर्व स्नान हो चुके हैं. सभी अखाड़े लौट चुके हैं. महाकुम्भ 26 फरवरी महाशिवरात्रि स्नान के साथ संपन्न हो जाएगा. महाकुम्भ के अंतिम स्नान से पूर्व प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं. लेकिन अब साधु-संतों के साथ ही श्रद्धालुओं को अगले कुम्भ की प्रतीक्षा है. आम श्रद्धालु यह जानना चाहते हैं कि अगला कुम्भ कहां होगा?
2027 में लगेगा अर्ध कुम्भ :
अगला कुम्भ धर्मनगरी हरिद्वार में लगने वाला है. हालांकि ये कुम्भ अर्द्धकुम्भ होगा. जो 2027 में आयोजित होगा. प्रयागराज महाकुम्भ 2025 की चर्चा देश-दुनिया में चारों तरफ है. पहली बार 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम नगर प्रयागराज पहुंचकर महाकुम्भ का पुण्य लाभ लिया है. प्रयागराज महाकुम्भ मेले की व्यवस्थाओं को देखकर उत्तराखंड सरकार ने भी हरिद्वार में होने वाले 2027 के अर्द्धकुम्भ को लेकर कमर कस ली है. 6 साल बाद लगने वाले इस अर्ध कुम्भ में भी करोड़ों की तादाद में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. बता दें, वर्ष 2021 में कोरोना महामारी की वजह से हरिद्धार कुम्भ का आयोजन केवल पंरपराओं तक सीमित रहा.
क्या होता है कुम्भ और अर्धकुम्भ में अंतर
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाले कुम्भ मेले का आयोजन 12 साल में हर 3 साल के अंतराल पर प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में क्रमश: होता है. हरिद्वार में गंगा के तट पर, उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर, नासिक में गोदावरी नदी के तट पर और प्रयागरात में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर कुंभ मेले का अयोजन होता है. जब सूर्य मेष राशि में और बृहस्पति कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं तब हरिद्वार में कुम्भ का आयोजन होता है. हालांकि कुम्भ मेला और अर्ध कुम्भ मेला दोनों ही का स्वरूप बेहद अलग होता है. साधु संतों की पेशवाई, श्रद्धालुओं की भीड़, कुंभ में सबसे अधिक होती है. जबकि 6 साल में लगने वाले अर्ध कुम्भ मेले में वह भव्यता भले ही ना हो. लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ अर्ध कुम्भ मेले में भी अत्यधिक पहुंचती है. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार या उत्तराखंड सरकार इस अर्धकुम्भ मेले को करवाने के लिए सालों पहले तैयारी शुरू कर देती है. इसी कड़ी में उत्तराखंड सरकार ने भी अर्धकुम्भ मिले पर अपना फोकस करना शुरू कर दिया है.
हरिद्धार कुम्भ प्रयागराज की तरह ऐतिहासिक होगा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीती 10 फरवरी को परिवार संग त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान कर मां गंगा, यमुना और सरस्वती को नमन किया. मुख्यमंत्री ने हरिद्वार में 2027 में होने वाले कुम्भ की तैयारियों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि सरकार अभी से इसकी तैयारी में जुट गई है, जिससे हरिद्वार कुम्भ भी प्रयागराज की तरह ऐतिहासिक और सुविधाजनक बनाया जा सके. उन्होंने भरोसा दिलाया कि उत्तराखंड सरकार महाआयोजन के दौरान श्रद्धालुओं के लिए हर संभव सुविधा उपलब्ध कराएगी. साथ ही आयोजन को भव्य एवं दिव्य बनाया जाएगा.
…तो अलौकिक होगा अर्धकुम्भ
2027 में अर्धकुम्भ को लेकर श्री गंगा सभा हरिद्वार ने राज्य सरकार और सभी अखाड़ों से वार्ता करने की योजना बनायी है. श्री गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने बताया कि, यह वार्ता इसलिए होगी ताकि साल 2021 के हरिद्वार में आयोजित हुए कुम्भ के दौरान कोरोना महामारी ने मेले की भव्यता को फीका किया था. उस दौरान साधु संत, कुंभ के दौरान होने वाली पेशवाई का आयोजन नहीं कर पाए थे. वशिष्ठ ने आगे बताया कि, दूसरी बात यह है कि हरिद्वार में आयोजित होने वाले अर्ध कुम्भ मेले के दौरान ही उज्जैन में कुम्भ का आयोजन होता है. लेकिन इस 2027 के हरिद्वार अर्धकुम्भ और 2028 के उज्जैन कुम्भ के बीच 1 साल का अंतर होगा. लिहाजा श्री गंगा सभा को उम्मीद है कि अगर राज्य सरकार और संतों से बातचीत की जाएगी तो इस बार का अर्धकुम्भ मेला हरिद्वार में बेहद भव्य और दिव्य होगा.
महाकुम्भ में 54 करोड़ ने स्नान किया
प्रयागराज महाकुमभ में अब सिर्फ 8 दिन बचे हैं, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ कम नहीं हो रही है. 37 दिनों में 54 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं. मंगलवार सुबह भी जबरदस्त भीड़ है. संगम आने वाले रास्तों पर लंबा जाम लगा है. पुलिस डायवर्जन के लिए टीन शेड लगा रही है.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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