राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष में देश की राजधानी दिल्ली में उसका मुख्यालय भव्य-दिव्य स्वरूप लेकर तैयार हो चुका है. अपनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और नवीनतम तकनीकी के साथ भविष्य की योजनाओं के अनुरूप यह संघ कार्यालय स्थापत्य कला का भी एक अनुपम उदाहरण प्रतीत होता है.
संघ की स्थापना 1925 में विजयादशमी के दिन नागपुर में हुई थी. नागपुर स्थित महाल में संघ का मुख्यालय भी है तो रेशिम बाग में संघ का बड़ा केन्द्र है जहां प्रमुख प्रशिक्षण होते हैं, लेकिन देश की राजधानी होने और प्रवास यानी टूर के लिए अधिक उपयोगी होने के चलते दिल्ली दूसरा बड़ा केन्द्र है जहां संघ के अधिकांश केन्द्रीय पदाधिकारियों का आना-जाना होता रहता है. ऐसे में संघ ने अपने केशव कुंज को वर्तमान आवश्यकताओं और सुविधाओं से युक्त एक नवीन स्वरूप दिया है.
इसका पुनर्निर्माण 2016 में शुरू हुआ था और 2024 की विजयादशमी के समय पूजन कर इसका विधिवत् गृह प्रवेश कर दिया गया. अभी भी कुछ आंतरिक निर्माण कार्य चल रहा है पर अधिकांश केन्द्रीय पदाधिकारियों का यहां पुनः प्रवेश हो चुका है. जल्दी ही दिल्ली के कार्यकर्ताओं को सामूहिक रूप से बुलाकर इसे सार्वजनिक तौर पर कार्य के लिए प्रयोग किया जाने लगेगा.
भव्य दिव्य स्वरूप
दिल्ली स्थित केशव कुंज अर्थात संघ मुख्यालय का पुनर्निर्मित और नवीन स्वरूप अत्यंत भव्य और आकर्षक है. दिल्ली के सुप्रसिद्ध झंडेवाला माता मंदिर के पार्श्व में गगनचुंबी तीन अट्टालिकाओं अर्थात टावर्स में कुल मिलाकर 300 कमरे हैं. आस पास की सभी इमारतों से कहीं अधिक ऊंची इसकी छत से वृहद दिल्ली और करोलबाग से सटे रिज एरिया के पूरे दर्शन हो जाते हैं. बेसमेंट और भूतल के साथ ही यह कुल मिलाकर 12 मंजिल का यह भवन है, जिसे सूर्य की रोशनी और हवा के आवागमन के साथ ही स्थापत्य को ध्यान में रखते हुए गुजरात के अनूप दवे ने डिजाइन किया है. इसका निर्माण ऑस्पीशियस नामक कंपनी ने किया है. स्वयंसेवकों और शुभचिंतकों की समर्पण निधि से एकत्र करीब 150 करोड़ की लागत से इसकी निर्मिति हुई है.
लगभग पौने चार एकड़ (17 हजार गज) में तीन टावर्स में कुल मिलाकर 5 लाख वर्ग फीट में यह निर्माण कार्य किया गया है. दिल्ली में पार्किंग की आवश्यकता को देखते हुए 132 कारों की जगह है जिसे आवश्यकनुसार बढ़ाकर दोगुना किया जा सकता है. इस परिसर का अपना एक एसटीपी अर्थात सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट है. वर्षा जल भंडारण से लेकर शौर्य ऊर्जा (140 केवीए का सोलर प्लांट) तक का विशेष ध्यान रखा गया है. लकड़ी की बचत हो इसलिए ग्रेनाइट की चौखटें लगाई गई हैं.
आकर्षक सभागार और नई तकनीकी
आवश्यकता के अनुसार तीन टावर्स में बंटे केशव कुंज में पहला 12 मंजिला परिसर दिल्ली प्रांत संघ कार्यालय के साथ ही प्रचार विभाग, पुस्तकालय, चिकित्सालय, इतिहास संकलन योजना आदि के लिए है. इसमें संघ के मुखपत्र कहे जाने वाले पांचजन्य और आर्गेनाइजर का भी कार्यालय है. इस खंड में साधारणतया वही कार्यालय हैं जहां लोगों का अधिक आना-जाना रहता है. इसी खंड में दो अलग-अलग विशाल सभागार भी हैं. एक सभागार अत्याधुनिक तकनीकी और प्रोजेक्टर आदि से युक्त है, जिसमें बैठने की क्षमता 463 की है. इसे अशोक सिंहल सभागार नाम दिया गया है. इसी के ऊपर एक और सभागार है जिसमें 600 लोग एक साथ बैठ सकते हैं.
दूसरे टावर को प्रेरणा नाम दिया गया है. इसमें संघ के केन्द्रीय पदाधिकारियों का निवास होगा. इसके साथ ही केन्द्रीय स्तर के पदाधिकारी भी अपने प्रवास के समय यहां रुक सकेंगे. इस परिसर में प्रवेश द्वार के ठीक सामने स्थापित बजरंग बली जी की प्रतिमा और उसकी आभा का अनुभव कर एक अलग ही अनुभूति होती है. इस टावर में छोटी बैठकों के लिए सभागार है जिसे चमनलाल जी के नाम पर समर्पित किया गया है.
इसके बाद संघ स्थान अर्थात शाखा के लिए खुले मैदान के बाद एक और टावर बनाया गया है, जिसे अर्चना नाम दिया गया है. इसमें केशव कुंज में कार्य करने वाले सहयोगियों अर्थात सेवकों, जैसे- भोजनालय कर्मचारी, वाहनचालक, सफाईकर्मी आदि के रहने का आवास बनाया गया है. इसमें 40 कमरों का 80 शैया वाला एक अतिथि गृह भी बनाया गया है, जिसमें देश भर से आने वाले कार्यकर्ताओं को विश्राम की सुविधा मिल सकेगी.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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