Maha Kumbh 2025: महाकुम्भ में माघ पूर्णिमा का स्नान जारी है. बुधवार को गंगा, यमुना और अंतःसलिला सरस्वती के संगम तट पर देश-दुनिया के हर कोने से आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा. प्रयागराज की सड़कें चहुंदिश श्रद्धा पथ में तब्दील हो गईं. देश-दुनिया भर से संतों, श्रद्धालुओं, पर्यटकों का सागर उमड़ा तो लगभग 6 किमी लंबे संगम तट पर कहीं तिल रखने भर की जगह नहीं बची. हर हर महादेव, जय गंगा मैया के गगनभेदी जयघोष के बीच कोई हाथों में ध्वज लिए संगम की ओर दौड़ता रहा तो कोई दंड-कमंडल, मनका लिए हुए लपकते पांवों से बढ़ता रहा. श्रद्धालुओं पर हेलिकॉप्टर से 25 क्विंटल फूल भी बरसाए गए.
मंगलवार रात से ही भर गये घाट: संगम तट पर माघ पूर्णिमा स्नान के लिए गंगा-यमुना के घाटों पर श्रद्धालुओं का खचाखच जमावड़ा मंगलवार रात से ही शुरू हो गया था. भीड़ प्रबंधन के चलते मेला क्षेत्र में वाहनों की आवाजा रोक दिए जाने की वजह से सड़कें हर तरफ पैदल पथ में तब्दील हो गईं. सिर पर गठरी, कंधे पर झोला हाथों में बच्चों और महिलाएं अपनों का हाथ थामे लोग संगम तट की ओर लंबे डग भरते रहे. फाफामऊ से अरैल के बीच संगम के लंबे दोनों तटों पर बने स्नान घाटों पर दो बजे रात से ही डुबकी लगनी शुरू हो गई. संगम तट की रेती पर बिछे पुआलों पर दूर-दराज से आए लाखों की तादाद में श्रद्धालु पहले से स्नान की प्रतीक्षा करते-करते सो गए थे.
कल्पवास का समापन
पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ त्रिवेणी की रेत पर शुरू हुआ कल्पवास का माघ पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ समापन हो गया. ब्रह्म मुहूर्त में त्रिवेणी में माघ पूर्णिमा की डुबकी लगाकर कल्पवासी अपने शिविर पहुंचे. कल्पवासियों ने तीर्थ पुरोहितों के सानिध्य में विधि विधान से दान और हवन का अनुष्ठान पूरा किया. तीर्थ पुरोहित अमित आलोक पाण्डेय बताते हैं कि वैसे तो शास्त्र में 84 तरह के दान का उल्लेख है, लेकिन जिसकी जो श्रद्धा होती है उसका दान तीर्थ पुरोहित स्वीकार कर लेते हैं. शैया दान, अन्न दान, वस्त्र दान और धन दान आदि का अनुष्ठान माघ पूर्णिमा को किया जाता है. किसी कारण वश अगर कोई कल्पवासी माघ पूर्णिमा को यह अनुष्ठान पूरा नहीं कर पाता है तो वह अगले दिन त्रिजटा का स्नान कर यहां से विदा हो जाता है. माघ पूर्णिमा में दस लाख से अधिक कल्पवासी महाकुम्भ की आध्यात्मिक ऊर्जा लेकर यहां से प्रस्थान कर गए.
46 करोड़ से ज्यादा कर चुके स्नान
महाकुंभ का आज 31वां दिन है. इससे पहले 4 स्नान पर्व हो चुके हैं. मेला प्रशासन के मुताबिक, बुधवार शाम 6 बजे तक 2 करोड़ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी. 13 जनवरी से अब तक करीब 46.25 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं. अब 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर आखिरी स्नान पर्व होगा. इससे पहले बसंत पंचमी के दिन करीब 2.57 करोड़ लोगों ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई थी. यह स्नान महाकुम्भ के तीसरे अमृत स्नान के रूप में हुआ था. अनुमान है कि बुधवार को 2.5 करोड़ श्रद्धालु डुबकी लगाएंगे.
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
महाकुम्भ में मंगलवार तक 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के अमृत स्नान का रिकार्ड कायम हो चुका है. सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध 29 जनवरी के मौनी अमावस्या के स्नान के दौरान मची भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत के बाद चौथे अमृत स्नान में मेला प्रशासन सर्तकता बरत रहा है. मेला प्रशासन ने चौथे अमृत स्नान के लिए स्पेशल प्लान बनाया है. इसमें सभी श्रद्धालुओं के लिए वनवे रूट रहेगा. पांटून पुलों पर कोई दिक्कत नहीं आएगी. त्रिवेणी के घाटों पर अत्यधिक दबाव रोकने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल और बैरिकेड तैनात कर दिए गए हैं. इसके साथ ही सुरक्षा व्यवस्था और अधिक कड़ी कर दी गई है. श्रद्धालुओं को संगम या अन्य घाटों तक पहुंचने में दिक्कत ना हो, इसके प्रबंध किए गए हैं. प्रभावी पेट्रोलिंग के लिए मोटर साइकिल दस्ते तैनात किए गए हैं. प्रमुख चौराहों और डायवर्जन प्वाइंट्स के बैरियर पर सीएपीएफ और पीएसी का इंतजाम किया गया है. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिहाज से वन वे रूट तैयार किया गया है. इसके अलावा पांटून पुलों पर मेले में आने वाले लोगों को किसी प्रकार की दिक्कत न आने पाए, इसका भी विशेष इंतजाम किया गया है. सबसे खास बात ये है कि त्रिवेणी के घाटों पर अत्यधिक दबाव रोकने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल लगाए जा रहे हैं, जहां वरिष्ठ अधिकारी भी टीम के साथ तैनात रहेंगे. बैरिकेडिंग की संख्या भी बढ़ा दी गई है. संवेदनशील स्थानों पर राजपत्रित अधिकारियों की निगरानी रहेगी. 56 क्विक रिस्पांस टीम (क्यूआरटी) की तैनाती की गई है.
‘मेला क्षेत्र नो व्हीलकल जोन घोषित’
महाकुम्भ के प्रमुख स्नान माघी पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं एवं प्रयागराजवासियों की सुविधा हेतु यातायात योजना बनाई गयी है ताकि प्रयागराज में आने वाले श्रद्धालुओं का स्नान सुगम तरीके से संपन्न हो और साथ ही नगर में किसी प्रकार की बाधा ना उत्पन्न हो. मेला क्षेत्र में आज आवश्यक एवं आकस्मिक सेवाओं के अलावा संपूर्ण मेला क्षेत्र में वाहनों का आवागमन बंद रहेगा. जो श्रद्धालु बाहर से प्रयागराज आये हैं, उनके वाहनों को संबंधित रूट की पार्किंग में ही पार्क कराया जा रहा हैं. इसमें आवश्यक और आकस्मिक सेवाओं में लगे वाहनों को छूट हैं. प्रयागराज नगर एवं मेला क्षेत्र में प्रमुख स्नान को देखते हुए 11 फरवरी को शाम 5 बजे के बाद नगर क्षेत्र में नो वाई व्हीकल जोन लागू है. यह यातायात व्यवस्था 12 फरवरी को मेला क्षेत्र से श्रद्धालुओं के चले जाने तक लागू रहेगी, प्रयागराज नगर एवं मेला क्षेत्र में वाहनों के प्रवेश तथा निकासी पर उपरोक्त प्रतिबंध कल्पवासियों के वाहनों पर भी लागू रहेगा.
मेला प्राधिकरण ने सभी श्रद्धालुओं एवं नगरवासियों से आग्रह है कि महाकुम्भ हेतु बनायी गयी इस व्यवस्था को सफल बनाने हेतु नियमों का पालन करें तथा व्यवस्था को बनाये रखने में सहयोग प्रदान करने की अपेक्षा की है.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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