ISRO’s NVS-02 Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के द्वारा 29 जनवरी को अपने 100वें रॉकेट मिशन में लॉन्च की गई नेविगेशन सैटेलाइट (NVS-02) अंतरिक्ष में फंस गई है. तकनीकी गड़बड़ी के कारण उपग्रह अपने निधारित कक्ष तक सही तरह पहुंच नहीं पाया है. इस बात की जानकारी खुद इसरो ने दी है उन्होंने कहा है कि ऑर्बिट में सैटेलाइट को स्थापति करने की प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. क्योंकि थ्रस्टर को फायर करने के लिए जरुरी ऑक्सीडाइजर को प्रवेश देने के लिए वॉल्व अभी खुले नहीं हैं. बता दें यह वॉल्व तरल अपोजी मोटर (LAM) पर ऑक्सीडाइजर की कमी को पूरा करने के लिए डिजाइन किए गए थे. जिसका मतलब यह हुआ कि LAM में तकनीकी खराबी की वजह से उपग्रह कक्षा बदलने और अंतिम कक्षा तक नहीं पहुंच पाई.
रविवार (2 फरवरी ) तक उपग्रह एक जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर आर्बिट (GTO) में ही बना हुआ है. इस कक्षा का उपयोग उपग्रहों को आखिरी कक्षा में ट्रांसफर करने से पहले किया जाता है. नेविगेशन उपग्रहों को ऑप्टिमल रुप से काम करने के लिए गोल कक्षा की जरुरत होती है.
LAM के प्रज्वलन के बिना ऑर्बिट का बदलना होगा मुश्किल है. वॉल्व में आई तकनीकी के बाद उपग्रह को जीटीओ में डाला गया था. अब इसरो को तय करना होगा कि कैसे उपग्रह को ऑप्टिमल कक्षा तक पहुंचाया जाए. इस समस्या को सुलझाने के लिए समिति पिछले दिनों कई बैठक भी कर चुकी है.
बता दें ऐसा पहली बार नहीं है कि जब इसरो के सामने इस तरह की कोई दिक्कत आई हो. इसे पहले भी कई बार बड़े-बड़े मिशन के दौरान दिक्कते आई हैं, लेकिन इसरो ने बाद में इस पर सफलता भी पाई है.
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