MahaKumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आस्था का महाकुंभ चल रहा है. मकर संक्रांति के पावन अवसर पर हर हर महादेव, हर गंगे के जयकारे के साथ अमृत स्नान शुरू हो चुका है. महाकुंभ के पावन अवसर पर त्रिवेणी संगम तट पर आस्था और दिव्यता का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है. एक ओर अखाड़े के साधु-संत अपने विशिष्ट अंदाज में स्नान कर रहे हैं तो दूसरी ओर हजारों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में पवित्र डुबकी लगाते नजर आ रहे. बड़े, बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे हर कोई गंगा मैया के जयकारे के साथ डुबकी लगा रहा है. मेला प्रशासन के मुताबिक, सुबह 10 बजे तक लगभग डेढ़ करोड़ लोगों ने संगम में स्नान किया कर लिया है. मेला प्रशासन के अनुसार, सुबह 8:30 बजे तक एक करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई. इसके बाद सुबह 10:00 बजे तक यह आंकड़ा 1.38 करोड़ पहुंच गया.
श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के साथ श्री शम्भू पंचायती अटल अखाड़ा सबसे पहले अमृत स्नान के लिए निर्धारित समय पर संगम पहुंचा. सुबह 6 बजकर 15 मिनट से शुरू हुआ अखाड़ों का अमृत स्नान शाम 4.30 बजे तक जारी रहेगा. प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों के संगम स्थल पर नागा साधुओं और फिर अन्य अखाड़ों के साधु और संतों के अमृत स्नान (शाही स्नान) के बाद श्रद्धालुओं का संगम तट पर डुबकी लगाने का सिलसिला जारी है.
तीर्थराज प्रयागराज में जब उजाले की एक किरण तक नहीं निकली थी, हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बीच मकर संक्रांति के पावन पर्व पर महाकुम्भ नगर में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा. अमृत स्नान के लिए देश-विदेश से करोड़ों लोग गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर पहुंचे. पवित्र स्नान का यह दृश्य भारतीय संस्कृति और परंपरा की गहराई को दर्शाता नजर आ रहा था. ब्रह्म मुहूर्त में ही लोगों ने पतित पावनी गंगा और संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाकर सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना की.
रात-दिन का अंतर मिटा
महाकुंभ के इस पावन अवसर पर रात और दिन का कोई भेद नहीं रह गया है. पूरी रात श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहा. चहल-पहल से गूंजते संगम तट पर हर व्यक्ति अपने हिस्से की आस्था और दिव्यता को आत्मसात करने में लीन दिखा. भारत की असंख्य विविधताओं के बीच अद्भुत एकता दिखाई दे रही है. देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु अपनी परंपराओं, भाषाओं और वेशभूषाओं के साथ एक ही उद्देश्य से संगम पर पहुंचे हैं और वो है पवित्र स्नान और आध्यात्मिक अनुभव.
भगवा और तिरंगा का संगम
महाकुंभ के अद्वितीय आयोजन में भगवा और तिरंगा का संगम भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक बन गया है. संगम तट पर सनातन परंपरा का प्रतिनिधित्व करते भगवा ध्वज जहां धर्म और आस्था की गहराई को दर्शाते हैं, वहीं भारत की एकता और अखंडता का परिचायक तिरंगा भी शान से लहराता नजर आया. मंगलवार को तिरंगे ने कई अखाड़ों की राजसी शोभायात्रा का हिस्सा बनकर महाकुंभ के इस दिव्य आयोजन में गौरव का एक नया आयाम जोड़ा. यह दृश्य न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को जागृत करता है, बल्कि भारत की विविधता में एकता को भी खूबसूरती से दर्शाता है.
आज क्रमानुसार अखाड़ों के अमृत स्नान की समय सारिणी
संन्यासी
1. श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी एवं श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा –सुबह 06:15 बजे
2. श्री तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा एवं श्री पंचायती अखाड़ा आनन्द – 07:05 बजे
3. श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा एवं श्रीपंचदशनाम आवाहन अखाड़ा तथा श्री पंचाग्नि अखाड़ा – 08:00 बजे
बैरागी
1. अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा – 10:40 बजे
2. अखिल भारतीय श्री पंच दिगम्बर अनी अखाड़ा – 11:20 बजे
3. अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा – 12:20 बजे
उदासीन
1. श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा – 13:15 बजे
2. श्री पंचायती अखाड़ा, बड़ा उदासीन, निर्वाण – 14:20 बजे
3. श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा – 15:40 बजे
ठंड के बाद भी दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन की गर्मी का जोश प्रयागराज के पग-पग पर अपने रंग में नजर आने लगा है. पहले अमृत स्नान पर्व पर अखाड़ों के नागा संन्यासियों, महामंडलेश्वरों, साधु-संतों सहित लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में पुण्य की डुबकी लगाकर कुंभ का श्रीगणेश कर दिया. साधु संतों के साथ आम श्रद्धालु भी संगम सहित अलग-अलग घाटों पर आधी रात से स्नान कर रहे हैं. कड़ी सुरक्षा के बीच घाटों पर नहाने और पूजा पाठ का सिलसिला जारी है. पारा 10 डिग्री सेल्सियस से भी कम होने के बाद भी बड़ी तादाद में लोग डुबकी लगा रहे हैं. अनुमान है कि आज संगम में अखाड़ों के साधु संतों के साथ ढाई से तीन करोड़ श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगाकर पुण्य के भागी बनेंगे.
नागा साधुओं की भव्य शोभायात्रा देखने उमड़े श्रद्धालु
पंचायती निर्वाणी अखाड़े के नागा साधुओं ने भाला, त्रिशूल और तलवारों के साथ अपने शाही स्वरूप में अमृत स्नान किया. साधु-संत घोड़े और रथों पर सवार होकर शोभायात्रा में शामिल हुए, जिससे पूरे क्षेत्र में भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हो गया. उनके साथ चल रही भजन मंडलियों और श्रद्धालुओं के जयघोष ने माहौल को और दिव्य बना दिया.
सिर पर गठरी, बगल में झोला लेकर आधी रात से ही गंगा की तरफ दौड़ रहे थे श्रद्धालु
नागवासुकी मंदिर और संगम क्षेत्र में तड़के से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया. बुजुर्ग, महिलाएं और युवा, सभी अपने सिर पर गठरी लादे आस्था से भरे हुए संगम की ओर बढ़ते दिखे. स्नान के लिए श्रद्धा ऐसी थी कि लोग रात से ही गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाना शुरू कर चुके थे.
चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध, घुड़सवार पुलिस ने किया मार्च
महाकुम्भ नगर में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए. हर मार्ग पर बैरिकेडिंग लगाकर वाहनों की गहन जांच की गई. चप्पे-चप्पे पर पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती से पूरा आयोजन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रहा. डीआईजी कुम्भ मेला वैभव कृष्ण, एसएसपी राजेश द्विवेदी समेत पुलिस टीम ने घोड़े के साथ मेला क्षेत्र में पैदल मार्च किया और अमृत स्नान जा रहे अखाड़ा साधुओं का मार्ग प्रशस्त किया.
घाटों पर गूंजे हर हर महादेव और जय श्री राम के जयघोष
12 किलोमीटर क्षेत्र में फैले स्नान घाटों पर हर हर महादेव और जय श्री राम के जयघोष सुनाई दिए. साधुओं के अमृत स्नान के साथ ही आम श्रद्धालुओं ने भी अपनी आस्था की डुबकी लगाई. संगम के आसपास गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ चारों ओर से देखी गई. इस दौरान सभी ने हर हर महादेव और जय श्री राम के नारों से संगम क्षेत्र को गुंजायमान कर दिया.
कुंभ का इतिहास
कुंभ का आयोजन कब से आरंभ हुआ, इस विषय में सुनिश्चित रूप से हमें कोई विशेष प्राचीन शास्त्रीय संदर्भ प्राप्त नहीं होता है लेकिन एक पौराणिक संदर्भ अवश्य मिलता है, जिसमें ग्रहों की विशेष स्थिति होने पर ही कुंभ होने की ओर संकेत मिलता है. स्कन्द पुराण में इसका उल्लेख मिलता है. गौरतलब है कि, बृहस्पति के मेष राशि में प्रविष्ट होने तथा सूर्य और चन्द्र के मकर राशि में होने पर अमावस्या के दिन प्रयागराज में त्रिवेणी संगम तट पर कुंभ का आयोजन होता है.
महाकुम्भ के अमृत स्नान की तिथियां
14 जनवरी (मंगलवार)- अमृत स्नान (शाही स्नान), मकर सक्रांति
29 जनवरी (बुधवार)- अमृत स्नान (शाही स्नान) मौनी अमावस्या
3 फरवरी (सोमवार)- अमृत स्नान (शाही स्नान), बसंत पंचमी
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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