Haryana: गहरी धुंध व कड़कती ठंड में अपने इष्ट के प्रति आस्था व्यक्त करते हुए श्री तिरुपति बालाजी धाम में एकादशी महोत्सव में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. प्रात: पांच बजे विभिन्न क्षेत्रों से काफी संख्या में श्रद्धालु धाम में पहुंचे और एकादशी महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. शुक्रवार सुबह पांच बजे पूरे विधि विधान व मंत्रोच्चारण के साथ भगवान श्री वेंकटेश जी, माता श्री भूदेवी जी, माता श्री नीला देवी जी को विशाल पालकी में विराजमान किया गया. एक अन्य पालकी में रामानुज स्वामी के विग्रह को शोभायमान किया गया. इसके बाद जयघोष करते हुए श्रद्धालुओं ने पालकी को अपने कंधे पर उठाया और श्री तिरुपति धाम में प्रतीकात्मक बनाए गए वैकुंठ द्वार में प्रवेश किया गया.
इस आलौकिक वैकुंठ प्रवेश के दर्शन करके श्रद्धालु अभिभूत हो गए. इस दौरान श्रद्धालु जय गोविंदा, भगवान श्री वेंकटेश्वर जी की जय एवं जय श्रीमन्ननारायण के जयघोष करते रहे. वैकुंठ एकादशी महोत्सव में हिस्सा लेने के उपरांत श्रद्धालुओं ने धाम में स्थापित श्री वेंकटेश भगवान जी, श्री पद्मावती माता जी, श्री गोदांबा माता जी, श्री गरुड़ जी, श्री लक्ष्मी नृसिंह जी, श्री सुदर्शन जी, श्री रामानुज स्वामी जी, श्री शठकोप स्वामी जी एवं श्री हनुमान जी के मंदिर में दर्शन किए. श्रद्धालुओं ने धाम में स्थापित 42 फुट ऊंचे सोने के श्री गरुड़ स्तंभ, बलिपीठम्, घंटाघर, श्री तिरुपति यज्ञशाला व पवित्र सरोवर पुष्करणी का भी अवलोकन किया. इसके साथ-साथ 71 फुट ऊंचे भव्य व नक्काशीदार गोपुरम के दर्शन करके भी श्रद्धालु अभिभूत हो गए.
सच्चे मन से आराधना करने वाले को मिलती सुख-समृद्धिमान्यता है कि वैकुंठ एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी के धाम वैकुंठ का द्वार खुला रहता है. इस दिन भगवान श्री विष्णु के स्वरूप श्री वेंकटेश जी के दर्शन करना पुण्य फलदायी है. सच्चे मन से आराधना करने वाले को सुख-समृद्धि एवं संतान को दीर्घायु व अच्छी सेहत प्राप्त होती है. इसके साथ-साथ मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त होता है. भगवान श्री वेंकटेश जी के प्रति नतमस्तक होते हुए तिरुपति धाम में वैकुंठ एकादशी महोत्सव मनाया गया.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
ये भी पढ़ें: Kaithal: बच्चे की मौत पर कार्रवाई नहीं करने वाले ASI निलंबित, अनिल विज ने दिए आदेश