Haryana: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि भागदौड़ भरी जिन्दगी में परंपरागत व पोषण से भरपूर व्यजनों को पीछे छोड़ दिया है जिसका सीधा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. ऐसे में अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें दैनिक जीवन में मोटे अनाज को अपनाना चाहिए. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी गुरुवार को हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में दीन दयाल शोध संस्थान के सहयोग से पोषण उत्सव कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि विशेषतौर पर बच्चों में पोषण की कमी व महिलाओं में खून की कमी कुपोषण संबंधी मुख्य समस्याएं हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी जिन मोटे अनाज आधारित पारम्परिक व्यजनों को हम भूल गए थे उनको प्रचलित करने का प्रयास किया है व उन्होनें खाद्य सुरक्षा के बाद पौषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मोटे अनाजों के उपयोग पर जोर दिया है. प्रधानमंत्री के प्रयासों से वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय पौषक अनाज वर्ष घोषित करने के बाद, मोटे अनाज की खेती और उपभोग के लिए कई कदम उठाए गए. फसल विविधीकरण करके पौषण से भरपूर मोटे अनाजों वाली फसलों को बढ़ावा देना चाहिए. इस पौषण उत्सव के माध्यम से मोटे अनाजों के प्रति आमजन की जागरूकता बढ़ेगी. पोषण की कमी को समाप्त करने के लिए हमारी सरकार ने कई योजनाएं लागू की हैं, जैसे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के पोषण को सुनिश्चित करना, स्कूल में पढऩे वाले बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान करना तथा ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में पोषण संबंधी सहायता देना शामिल है. उन्होनें हिसार के कुछ गांवों में हो रही स्ट्राबैरी की खेती व सिरसा में हो रही किन्नू की खेती की तारीफ करते हुए बताया कि फसल विविधीकरण करते हुए ऐसी फसलों के रकबे को बढ़ाना चाहिए. इस कार्यशाला में दीन दयाल शोध संस्थान द्वारा प्रकाशित पोषण उत्सव पुस्तक का विमोचन भी किया. कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने कहा कि विश्वविद्यालय मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है इसी संदर्भ में हाल ही में हकृवि ने भिवानी के गोकुलपुरा गांव में पोषक अनाज अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की है जिसमें मोटे अनाज वाली फसलों पर शोध कार्य किया जा रहा है. विश्वविद्यालय ने बाजरा की बायोफोर्टिफाइड किस्में विकसित की है जिनमें लौह तत्व व जस्ते की प्रचुर मात्रा है.
वर्तमान फसल चक्रों में बदलाव करके नए फसल विविधिकरण हेतू हमारी परम्परागत प्राचीन मोटे व छोटे अनाज वाली फसलों जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, कंगनी, सावंक, छोटी कंगनी, कुटकी आदि को पुन: अपनाना होगा. जहां एक ओर मोटे अनाज वाली फसलें कम पानी व थोड़े दिन में तैयार हो जाती हैं वहीं दूसरी तरफ ये पोषक तत्वों में भी भरपूर होती हैं. उन्होने कहा कि स्वस्थ जीवन शैली ही स्वस्थ समाज का निर्माण करती है. इसलिए हमें अपने खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए. उन्होनें वोकल फॉर लोकल व वन डीस्ट्रीक्ट वन प्रोडक्ट योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया.
मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देने के लिए श्री नानाजी देशमुख के प्रयासों से स्थापित दीन दयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव अतुल जैन ने अपने संस्थान द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों पर डाक्यूमैंटरी के माध्यम से प्रकाश डाला. उन्होनें बताया कि उनकी संस्था पौषण की सांस्कृतिक पंरम्पराओं पर आधारित पोषण उत्सव मना रही है. डॉ मीना जांगिड. सहसंपादक ने मंच का संचालन किया व वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं सहसंपादक डॉ अमित कुमार गोस्वामी ने मोटे अनाज के विषय में भी अपने विचार रखें. इस अवसर पर सदस्य, डीआरआई, भूपेन्द्र मलिक, अमित कुमार जांगिड़, राजेश सिहाग, मुकेश सैनी, राजीव गोयल सहित डीआरआई के अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित रहें. डॉ. बीना यादव ने धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया. इस अवसर पर प्रशासनिक अधिकारी, गणमान्य व्यक्ति, विश्वविद्यालय के अधिकारीगण व वैज्ञानिक भी मौजूद रहें. इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण, पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्री श्याम सिंह राणा व लोक निर्माण, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री रणबीर गंगवा व नलवा के विधायक रणधीर पनिहार और हांसी के विधायक विनोद भ्याणा भी मौजूद रहे.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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