भारत के केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया को आज यमन की सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है. दरअसल यमन कोर्ट ने निमिषा पर एक यमन नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप लगाते हुए उसे यह सजा सुनाई है. निमिषा की मिली सजा के बाद अब भारत सरकार ने मदद के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया है.
केंद्र् सरकार द्वारा मिली जानकारी के अनुसार यमन कोर्ट द्वारा मिली मौत की सजा का फैसला अब वहां के राष्ट्रपति के पास है. लेकिन अभी तक राष्ट्रपति ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है.
विदेश मंत्रालय के अधिकारी प्रवक्ता ने इस मामले के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यमन में एक भारतीय नर्स मौत की सजा का सामना कर रही है. इस मामले के सभी प्रासंगिक विकल्पों के बारे में पता लगाने का वह हर कोशिश कर रहे हैं.
जानिए कौन हैं निमिषा प्रिया?
जानकारी के अनुसार, निमिषा प्रिया 27 वर्षीय केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली एक नर्स है. निमिषा प्रिया ने साल 2012 में यमन गई. जहां निमिषा की मुलाकात एक यमन नागरिक तलाल अब्दो महदी से हुई थी. शुरुआत में अब्दो महदी ने निमिषा से उसके साथ मिलकर क्लीनिक खोलने का वादा किया था. लेकिन बाद में निमिषा ने अपने दम पर भी यमन में क्लीनिक खोला. मिली जानकारी के अनुसार तलाल ने धोखे से क्लीनिक पर अपना हक जताने लगा और निमिषा को अपनी पत्नी बताने लगा. बाद में तलाल ने निमिषा को परेशान करना शुरु कर दिया. दोनों के बीच झगड़े होने लगे. तलाल निमिषा को शारीरिक और मानसिक तौर पर परेशान करने लगा. बाद में तंग आकर निमिषा ने पुलिस में तलाल के खिलाफ शिकायत दर्ज की. उसके बाद तलाल को कुछ महीनों तक जेल में रहना पड़ा. बाद में जब अब्दो जेल से वापस आया तो उसने निमिषा का पासपोर्ट अपने पास रख लिया.
साल 2017 में निमिषा ने तलाल से अपना पासपोर्ट वापस लेने के लिए उसे बेहोशी वाला इंजेक्शन दिया. लेकिन बेहोशी का नशीला डोज तलाल के लिए ओवरडोज हो गया और उसकी मौत हो गई. इस मामले में निमिषा का कहना है कि उसका मकसद तलाल को मारना नहीं था, वहां केवल अपना पासपोर्ट उसे लेना चाहती थी.
निमिषा की मां ने यमन जाकर अपनी बेटी को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया. लेकिन यमन की निचली अदालत ने निमिषा को मौत की सजा का फैसला सुनाया. निचली अदालत के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई , लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने निचली कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को बरकरार रखा.
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