Haryana: कृषि तथा किसान कल्याण विभाग के अर्थशास्त्री डॉ. देवेंद्र श्योराण ने जिले के गांव मैय्यड़, दाहिमा, चिकनवास व खेड़ी बर्की में फसल कटाई प्रयोगों का निरीक्षण किया. उन्होंने शुक्रवार को जिले के सभी गावों में फसल कटाई प्रयोगों का कार्य कर रहे कृषि विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्देश दिए कि वर्तमान खरीफ सीजन में यह कार्य ध्यानपूर्वक करें. इन्हीं के आधार पर प्रत्येक गांव की औसत पैदावार तय की जाएगी तथा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों का क्लेम भी इन्ही के आधार पर ही निर्धारित किया जाएगा.
अर्थशास्त्री डॉ. देवेंद्र श्योराण द्वारा फसल कटाई प्रयोगों के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की जिले के सभी गावों में ड्यूटी लगाई गई है, जिनके द्वारा प्रत्येक गांव में फसल कटाई प्रयोग किए जा रहें हैं. आंकड़ों में शुद्धता लाने के उद्देश्य से ही इस कार्य को किया जा रहा है. फसल कटाई प्रयोग के आधार पर ही जिले की औसत पैदावार निकाली जाएगी. उन्होंने किसानों को बताया गया कि किसान अपनी धान की फसल काटने के बाद उसके फाने न जलाएं. फाने जलाने उपरांत निकलने वाले धुएं से मानव शरीर पर घातक प्रभाव पड़ता है तथा फाने जलाने से जमीन की उपजाऊ शक्ति पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है. इसके अतिरिक्त कृषि विभाग के कर्मचारियों को भी निर्देश दिए गए कि किसानों को फाने जलाने उपरांत होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में ज्यादा से ज्यादा अवगत करवाया जाए. अर्थशास्त्री डॉ देवेंद्र श्योराण ने अधिकारियों को किसानों के प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के बकाया की स्वीकृति प्रदान करने बारे में भी आवश्यक दिशा निर्देश दिए.
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डॉ. राजबीर सिंह ने बताया कि प्रत्येक गांव में रैंडम नंबर एवं स्मार्ट सैंपलिंग के माध्यम से फसल के लिए खेत का चयन किया गया. यह कार्य कृषि विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा किया जाना होता है ताकि गांव स्तर की औसत पैदावार निकाली जा सके. इस अवसर पर सांख्यिकी अधिकारी संजय, डॉ. शमशेर सिंह, कृषि विकास अधिकारी डॉ. राजीव भाटिया, सांख्यिकी सहायक ईश्वर सिंह, सरिता, विषय विशेषज्ञ डॉ. रवि इत्यादि भी मौके पर उपस्थित रहे.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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