देश की सर्वोच्च अदालत ने किसी भी व्यक्ति की उम्र को निर्धारित करने के लिए आधार कार्ड को वैलिड डॉक्यूमेंट नहीं माना है. जस्टिस संजय करोल की अध्यक्षता वाली बैंच ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को पटलते हुए यह फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की उम्र का पता लगाने के लिए आधार कार्ड के बजाय उसके स्कूल लीविंग सेर्टिफिकेट पर लिखी जन्म तिथि को ही वैध दस्तावेज मानना चाहिए.
दरअसल पंजाब-हरियामा होई कोर्ट ने सड़क हादसे में पीड़ित एक व्यक्ति को मुआवजा देने के लिए उस दौरान आधार कार्ड को उम्र जानने का प्रमाण माना था. जिसे आज सुनावई करते समय सुप्रीम कोर्ट ने बदल दिया.
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल, सड़क हादसे में जान गवांने वाले व्यक्ति के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. ट्रायल कोर्ट ने सड़क हादसे में जान गवां चुके व्यक्ति के परिवार को मुआवजे के तौर पर करीब 19 लाख से ज्यादा की राशि देने का आदेश दिया था. जिसे पंजाब-हरियाणा कोर्ट ने बदलते हुए मुआवजे की राशि को घटाकर 9 लाख 22 हजार रुपये कर दिया था और कोर्ट ने यह फैसला पीड़ित के आधार कार्ड पर लिखे उम्र के आधार पर दिया था. जिसे आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह से पलट दिया.
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