Haryana Politics: हरियाणा (Haryana) में भाजपा (BJP) 48 सीटों पर बहुमत हासिल कर तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है. 17 अक्टूबर की तारीख को सीएम शपथ ग्रहण समारोह (Haryana CM Oath Ceremony) के लिए चुना गया है. शपथ ग्रहण समारोह से एक दिन पहले यानी 16 अक्टूबर को सुबह 10 बजे विधायक दल की बैठक होगी. जिसमें सभी विधायक दल का नया नेता चुना जाएगा. भाजपा ने हरियाणा में नया सीएम चुनने के लिए केंद्रीय मंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को पर्यवेक्षक चुना गया है.
लेकिन अमित शाह को पर्यवेक्षक चुनने के बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है. अमित शाह पार्टी में चुनावी रणनीति बनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण निभाते हुए देखा गया है. इसलिए विधायक दल चुनने के दौरान पार्टी ने उन्हें पर्यवेक्षक के तौर पर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. जानें किन कारणों के चलते अमित शाह को चुना गया ‘पर्यवेक्षक’?
पार्टी में अंदरुनी कलह
अमित शाह को विधायक दल का नेता चुनने के लिए पार्टी द्वारा सौंपी गई पर्यवेक्षक जिम्मेदारी का पहला कारण पार्टी में चल रही भीतरी कलह है. हर पार्टी में तरह बीजेपी पार्टी में गुट बाजी देखने को मिलती है. इस बार चुनाव से पहले से अनिल विज और राव इंद्रजीत ने सीएम बनने की इच्छा जाहिर की है. इतना ही नहीं अनिल विज ने तो चुनाव के दौरान यह भी कहा था कि अब मुलाकात सीधा सीएम आवास पर होगी. इन सभी कारणों के चलते अमित शाह को पर्यवेक्षक बनाया गया है.
बढ़ी सीएम की दावेदारी
वैसे तो भारतीय जनता पार्टी हाईकमान ने नायब सिंह सैनी को ही मुख्यमंत्री का फेस बताया है, लेकिन इसके बावजूद में पार्टी में कई नेता ने इस बार मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर करते हुए नजर आए हैं. इसमें पूर्व गृह मंत्री अनिल विज का नाम सबसे ऊपर है. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत भी सीएम की रेस में शामिल हो गए हैं.
अहीरवाल बेल्ट बनी चुनौती
हरियाणा की अहीरवाल बेल्ट में कुल 11 विधानसभा सीटें आती है. जिसमें से इस चुनाव में 10 सीटों पर पार्टी को जीत मिली है. इस बेल्ट में राव इंद्रजीत का नाम हमेशा से चर्चा में रहता है. इन सीटों पर जिन विधायकों को टिकट मिली है उन्हें राव इंद्रजीत का करीबी माना जाता है. इस बार इंद्रजीत की बेटी आरती राव ने अटेली सीट से पहली बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. ऐसे में अगर इन विधायकों ने अपने नेता को विधायक दल का नेता चुनने की मांग की तो पार्टी के लिए समस्याएं और भी बढ़ सकती है. ऐसे में भाजपा किसी भी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है.
शपथ ग्रहण की बदलती तारीखें
8 अक्तूबर को हरियाणा में विधानसभा चुनाव के परिणाम जारी कर दिए गए थे, लेकिन इसके बावजूद अभी तक विधायक दल के नेता का नाम घोषित नहीं हुआ है. जिसके चते शध ग्रहण के समारोह की तारीखें बदलती जा रही है. पहले उम्मीद लगाई जा रही थी कि नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह 12 अक्टूबर को होगा, लेकिन बाद में तारीख को 15 और 17 तय कर दिया गया है. इसके अलावा शपथ ग्रहण समारोह के दौरान पीएम मोदी भी उपिस्थित होंगे, लेकिन 12 को दौरान पीएम विदेशी दौरे पर थे. इसे भी शपथ ग्रहण समारोह न होने की वजह बताया जा रहा है.
ये भी पढ़ें: Haryana: 16 अक्टूबर को होगी BJP विधायकों की बैठक, अमित शाह की मौजूदगी में नायब सैनी को चुना जाएगा विधायक दल का नेता