Shardiya Navratri Day 3: आज नवरात्रि का तीसरा दिन (Navratri Day 3) है. नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघण्टा की पूजा की जाती है. मां का यह रूप बेहद सौम्य और शांत है, जो सुख-समृद्धि प्रदान करता है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से आत्मविश्वास बढ़ता है. सुखों में वृद्धि होती है और सामाजिक प्रभाव भी बढ़ता है. लोग आपको सम्मान देना शुरू कर देते हैं.
मां दुर्गा के साधक पंडित मनोज मिश्रा ने शनिवार को कहा कि देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि मां यह रूप बेहद सरल सौम्य, शांत और ममतामयी है. मां इस रूप में अपने भक्तों की सुख समृद्धि में वृद्धि करती हैं. मां चंद्रघण्टा की पूजा करने से आपके सुख और भौतिक सुखों में वृद्धि होती है और मां दुर्गा समाज में आपका प्रभाव बढ़ाती हैं. पंडित मनोज मिश्रा ने कहा कि मां के मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा है, इसलिए उन्हें चंद्रघण्टा कहते हैं. मां चंद्रघण्टा का रूप अलौकिक, तेजस्वी और ममतामयी माना जाता है. मां के इस रूप की पूजा करने से आपको जीवन के हर क्षेत्र में भरपूर कामयाबी प्राप्त होती है.
उन्होंने कहा कि मां की पूजा सूर्योदय से पहले करनी चाहिए. पूजा में लाल और पीले गेंदे के फूल चढ़ाने चाहिए. इनकी पूजा में शंख और घंटों के साथ पूजा करने से मां प्रसन्न होती हैं और कृपा बरसाती हैं. मां का रंग सोने जैसा चमकदार है और वह शेर की सवारी करती हैं. उनके आठ हाथों में कमल, धनुष, बाण, तलवार, कमंडल, त्रिशूल और गदा जैसे अस्त्र-शस्त्र हैं. मां के गले में सफेद फूलों की माला और सिर पर चंद्रमा से सुसज्जित रत्नजड़ित मुकुट है. मां हमेशा युद्ध की मुद्रा में तंत्र साधना में लीन रहती हैं.
क्या है पौराणिक कथा?
पौराणिक कथा के मुताबिक, माता दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का अवतार तब लिया था जब दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा था. महिषासुर का भयंकर युद्ध देवताओं से चल रहा था. महिषासुर देवराज इंद्र के सिंहासन को प्राप्त करना चाहता था. वह स्वर्गलोक पर राज करने की इच्छा पूरी करने के लिए यह युद्ध कर रहा था. जब देवताओं को उसकी इस इच्छा का पता चला तो वे परेशान हो गए और भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सामने पहुंचे. ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने देवताओं की बात सुनकर क्रोध प्रकट किया और क्रोध आने पर उन तीनों के मुख से ऊर्जा निकली. उस ऊर्जा से एक देवी अवतरित हुईं. उस देवी को भगवान शंकर ने त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र, इंद्र ने घंटा, सूर्य ने तेज और तलवार और सिंह प्रदान किया. इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध कर देवताओं की रक्षा की. शास्त्रों में मां चंद्रघंटा को लेकर यह कथा प्रचिलत है.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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