Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव प्रचार में तेजी से होता हुआ नजर आ रहा है. राजनीतिक नेता वोट हासिल कर सत्ता में आने और बने रहने के लिए वोटर्स से खुलकर समर्थन मांग रहे हैं. रैलियों के दौरान नेताओं के द्वारा 36 बिरादियों का समर्थन मिलने वाली लाइन काफी बार सुनी है. न केवल विधानसभा चुनाव में बल्कि पंचायतों में होने वाले चुनाव के समय 36 बिरादियों का दुहाई दी जाती है.
वैसे तो हरियाणा की राजनीति जाट और गैर जाट समुदाय के इर्द-गिर्द अधिक घूमती है. इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 35 सीटों पर जाट उम्मीदवार को चुनावी रण में उतारा है. और भाजपा 16 सीटों पर जाट को उतारा है. लेकिन फिर भी रैलियों के दौरान 36 बिरादरियों की दुहाई सबसे ज्यादा प्रचलन में चल रही है. तो आइए जानें आखिर क्या है 36 बिरादरी. और हरियाणा की राजनीति में इसका कितना महत्व है.
कहां से हुई बिरदारी शब्द की शुरुआत
बिरादरी शब्द बरादर से आया है. जिसका इस्तेमाल एक समान वंश वाले समुदाये के लिए किया जाता है.भारत में इस बिरदारी शब्द को कौम और जाति से जुड़ा जाता है. बरादर शब्द से अंग्रेजी शब्द बर्दर बना है. मामूली तौर पर लोग एक-दूसरे से उनकी जाति पूछने के लिए उनकी बिरदारी के बारे में जानते हैं. बिरादरी शब्द का इस्तेमाल जाति के लिए भी किया जाता है. हरियाणा में 36 से ज्यादा जातियां है इस वजह से वहां पर 36 बिरादरी का इस्तेमाल किया सर्व समाज के लिए किया जाता हैं.
रैलियों में अक्सर होता है 36 बिरदारी के समर्थन का जिक्र
हरियाणा में महज कुछ दिनों में होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए आजकल चुनावी प्रचार चल रहे हैं. नेताओं और विधायकों द्वारा अक्सर यह सुनने को मिला है 36 बिरादरियों के द्वारा उनका शानदार स्वागत किया जाता है. इसी वजह से न केवल हरियाणा बल्कि राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी इसी 36 बिरादरियों में इनकी बातें सुनी जाती है.
जानें हरियाणा का जातीय समीकरण
हरियाणा में सबसे ज्यादा संख्या में जाट समुदाय के लोग रहते हैं, जो अधिकतर सामान्य वर्ग की श्रेणी से आते हैं. हरियाणा की कुल प्रतिशत का करीब 25 से 27 है. ओबीसी समुदाय की आबादी लगभग 30 से 32 प्रतिशत है. जिसमें यादव, सैनी, गुर्जर, कम्बोज, कुम्हार, लोहार और सुनार, प्रजापति जाति शामिल है.प्रदेश में दलित की संख्या करीब 21 प्रतिशत है, जो वाल्मिकी और रविदास सहित अन्य उपजातियों में बंटे हुए हैं. सवर्ण समुदाय में पंजाबी, ब्राह्मण, वैश्य जैसी जातियां शामिल है. इसके अलावा प्रदेश में मुस्लिम समुदाय में भी जातियों को अलग-अलग बांटा हुआ है.
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