Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा में केन्द्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के सियासी ऑफर ने मानो कांग्रेस की पूरी सियासत को झटका दे दिया है. पहले से ही कांग्रेस से नाराज चल रही सांसद कुमारी सैलजा को अब भाजपा में अपनी पार्टी में शामिल होने का ऑफर दे दिया है. लेकिन अगर कुमारी सैलजा बीजेपी में शामिल हो जाती है, तो इसे 10 सालों बाद दोबारा सत्ता में आने का सपना कांग्रेस का टूट सकता है. और इसकी अहम वजह है कुमारी सैलजा का पार्टी में सियासी कद. आइए जानें हरियाणा की सियासत में क्या है सैलजा की भूमिका?
सैलजा की नाराजगी से कांग्रेस को हो सकता है नुकसान
आज (21 सितंबर) को मनोहर खट्टर के द्वारा कुमारी सैलजा का भाजपा में शामिल होने का ऑफर देने के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. साथ ही यदि सैलजा बीजेपी में शामिल हो जाती है, कांग्रेस को इसका भारी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है क्योंकि हरियाणा कांग्रेस में सैलजा का सियासी कद काफी ऊंचा है. आइए समझे कैसे?
राजनीति विरासत और दलित चेहरा
कुमारी सैलाज का राजनीति बैकग्राउंड काफी स्ट्रांन्ग है. उनके पिता चौधरी दलबीर सिंह कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक है. सैलजा कांग्रेस पार्टी का दलित चेहरा मानी जाती है.
हरियाणा विधानसभा में मौजूद 90 सीटों में से 17 सीटें आरक्षित हैं. हरियाणा की कुल जनसंख्या का 20 प्रतिशत आबादी दलित है. इस बार हुए लोकसभा चुनाव में अधिकतर दलितों का समर्थन कांग्रेस पार्टी को था. वहीं अगर सैलजा ने बात करें , तो उन्हें इस साल हुए लोकसभा चुनाव में सिरसा सीट से जीत हासिल की है. सैलजा वे चुनाव में ज्यादा मार्जिन में वोट हासिल किए थे. इसके बाद से पार्टी में सैलजा का कद और भी बढ़ गया है.
इन सीटों पर रहा दबदबा
हरियाणा की दो लाकसभा सीट सिरसा और अंबाला में कुमारी सैलजा की अच्छी पकड़ है. फिलहाल सैलजा सिरसा सीट से ही कांग्रेस सांसद है. इन दोनों लोकसभा सीट के अंतर्गत कुल 20 विधानसभा सीटें आती हैं. साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सिरसा से 2 और अंबाला से 5 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार सैलजा गुट द्वारा दिए गए नामों में से जिन 9 उम्मीदवारों को चुनाव में लड़ने के लिए टिकट मिली है वह भी इस इन्हीं सीटों से आते हैं.
5 अक्तूबर को हरियाणा की जनता फैसला कर लेगी कि आखिर कौन बनेगा प्रदेश का नया मुख्यमंत्री. किस पार्टी के हिस्सें में होगा अगले पांच साल पूरे सत्ता पर कबजा करना और इस पार्टी को अगल 5 सालों के लिए करना होगा इंतजार.
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