Haryana: हरियाणा के सोनीपत जिले के गोल्डन ब्वाय सुमित अंतिल ने एक बार फिर देश का नाम रोशन किया है. टोक्यो पैरालंपिक में जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतने वाले सुमित अंतिल नेे पेरिस पैरालंपिक में भी स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रच दिया है. सुमित ने टोक्याे का अपना ही रिकार्ड पेरिस में तोड़ दिया। सुमित का स्वर्ण पदक जीतना दिव्यांग लोगों के लिए प्रेरणा है।
सुमित के लिए यह सफर आसान नहीं रहा है. सोनीपत जिले में 7 जून 1998 को जन्म लेने वाले सुमिल अंतिल के पिता एयरफोर्स में तैनात थे. पिता के निधन के समय सुमित सिर्फ सात साल का था. मां निर्मला देवी ने सभी कठिनाइयों के बावजूद अपने चारों बच्चों का पालन-पोषण किया. वर्ष 2015 में एक हादसे में सुमित ने अपना एक पैर खो दिया, लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और खेलों में अपना करियर बनाया. सुमित ने हर कठिनाई का डटकर मुकाबला किया. टोक्यो में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने अपने परिवार को गौरवान्वित होने का अवसर दिया.
सुमित अंतिल की खेल यात्रा संघर्ष, दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास की कहानी है, जो लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. सुमित नेे कोच विरेंद्र धनखड़ और द्रोणाचार्य अवॉर्डी नवल सिंह के मार्गदर्शन में लगातार मेहनत की और खेल के क्षेत्र में अपना नाम बनाया. सुमित ने वर्ष 2019 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक लेकिन वर्ष 2018 में एशियन चैंपियनशिप में वह पांचवें स्थान पर रहा. सुमित ने इस हार को चुनौती के रूप में लिया और लगातार मेहनत के बदौलत उसने वर्ष 2019 के नेशनल गेम्स में स्वर्ण पदक जीतकर खुद को साबित किया. इसके बाद टोक्यो पैरालंपिक में 68.55 मीटर का जैवलिन थ्रो कर सुमित ने रिकॉड बनाने के साथ स्वर्ण पदक जीता था.
ओलंपिक मेें भी मंगलवार को अपना पुराना रिकार्ड तोड़ते हुए 70.59 मीटर की दूरी पर भाला फेंककर नया कीर्तिमान बनाया. सुमित ने एफ64 कैटेगरी में स्वर्ण पदक जीता, जो उन एथलीट्स के लिए होती है जिनके एक पैर की लंबाई दूसरे से कम होती है, जिससे चलने और दौड़ने में कठिनाई होती है.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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