Assam Jumma Break: असम विधानसभा (Assam Legislative) ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से एक बड़ा फैसला लिया गया है. विधानसभा ने अब शुक्रवार को नमाज के लिए ब्रेक को खत्म करने के लिए नियम 11 में संशोधन कर दिया गया. इससे अब से नमाज के लिए विधानसभा में कोई ब्रेक नहीं होगा. एआईयूडीएफ के अधिकांश सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई. इस नियम का अनुपालना अगले सत्र से होगा. आज पांच दिवसीय विधानसभा का अंतिम दिन था.
इस नियम में हुआ बदलाव
असम विधानसभा की उत्पादकता को बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य के औपनिवेशिक बोझ को हटाने के लिए, प्रति शुक्रवार सदन को जुम्मे के लिए 2 घंटे तक स्थगित करने के नियम को रद्द किया गया।
यह प्रथा 1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्लाह ने शुरू की थी।
भारत के प्राचीन धर्मनिरपेक्ष मूल्यों…
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) August 30, 2024
दरअसल, असम विधानसभा में कार्यवाही हर शुक्रवार को दिन 11.30 बजे से नमाज के लिए रोक दिया जाता था. यह नियम सैयद सदुल्ला के दिनों से चला आ रहा था. इसको लेकर पहले भी आपत्ति जताई जाती रही है, लेकिन इसको समाप्त नहीं किया गया था. असम विधानसभा में आज अंतिम बार इस नियम के तहत विधानसभा की कार्रवाई को नमाज के लिए स्थगित किया गया. आज विधानसभा में सर्वसम्मति से नियम 11 में संशोधन कर अगली बैठकों से नमाज के नाम पर
हर शुक्रवार को नमाज के लिए रुकने वाली कार्यवाही को रोकने के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया. इस नियम का अनुपालन विधानसभा की अगली बैठक से होगा. आज पांच दिवसीय विधानसभा का अंतिम दिन था.
विधानसभा में फैसले के बाद धिंग के विधायक अमीनुल इस्लाम ने विधानसभा में नमाज का समय पहले की तरह ही बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा कि भाजपा विधायकों का एक वर्ग मुसलमानों को नमाज नहीं पढ़ने देना चाहता है. इसका उद्देश्य भाजपा विधायकों के लिए असहिष्णुता का माहौल बनाना है. विधायक वाजिद अली चौधरी ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध किया.
इस निर्णय पर एआईयूडीएफ के अधिकांश विधायकों ने अपनी आपत्ति जताई. कुछ विधायकों का कहना था कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. वहीं, दूसरी सर्वसम्मति निर्णय को लेकर पूछे जाने पर कांग्रेस के विधायक रेकीबुद्दीन अहमद ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन अगर ऐसा हुआ है तो यह उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष से इस बारे में पूछेंगे और इस व्यवस्था को फिर से बहाल रखने की अपील करेंगे. उन्होंने कहा कि वे तीसरी बार विधायक चुने गये हैं और तीनों कार्यकाल के दौरान शुक्रवार को नमाज के लिए विधानसभा की कार्यवाही स्थागित की जाती रही है.
इस बीच सत्ताधारी दल के विधायकों का कहना था कि देश की किसी भी विधानसभा में इस तरह की कोई प्रक्रिया नहीं है. सवाल उठता है कि यहां पर ऐसी परंपरा क्यों शुरू की गयी. कुछ विधायकों ने इसको तुष्टीकरण की राजनीति से जोड़कर बताया कि यह सिर्फ वोट बैंक की घृणित राजनीति है. उन्होंने कहा कि नमाज पढ़ने के लिए किसी को भी कोई रोक नहीं है. जिसे नमाज पढ़ना है, वह पढ़ सकता है, जिसे नहीं पढ़ना है वह सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले सकता है. केवल कुछ लोगों के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करना सार्वजनिक धन की बर्बादी है.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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