Bangladesh News: बांग्लादेश (Bangladesh) में पिछले कुछ हफ्तों से चल रहे हिंसा के बीच सोमवार (5 अगस्त) को देश की पूर्व पीएम शेख हसीना (PM Sheikh Hasina) के पद से इस्तीफा देने से पूरा तख्तापलट हो गया है. इसी बीच मशहूर लेखिका तस्लीमा नसरीन (Taslima Nasreen) ने रिएक्ट करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री पर तंज कसा है. नसरीन ने बोला कि ‘जिन कंट्टरपंथियों को खुश करने के लिए शेख हसीना ने मुझे देश से बाहर निकाला था, आज उन्हीं कट्टरपंथियों के कारण उन्हें भी देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा.’ आपको बता दें, साल 1999 में हसीना ने तस्लीमा नसरीन को देश से निकाल दिया था, जिसके बाद से वह भारत में ही है.
तस्लीमा नसरीन ने शेख हसीना को लेकर कहीं ये बात
Hasina in order to please Islamists threw me out of my country in 1999 after I entered Bangladesh to see my mother in her deathbed and never allowed me to enter the country again. The same Islamists have been in the student movement who forced Hasina to leave the country today.
— taslima nasreen (@taslimanasreen) August 5, 2024
लेखिका तस्लीमा नसरीन ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट शेयर करते हुए कहा कि साल 1999 में पूर्व पीएम शेख हसीना ने इस्लामवादियों को खुश करने के लिए मुझे देश से निष्कासित कर दिया था. केवल मैंने देश में आखिरी बार अपनी मां को अंतिम बार देखने के लिए प्रवेश किया था. उसके बाद मुझे कभी देश में वापस जाने की अनुमति नहीं मिली. लेकिन आज वहीं इस्लामिवाद छात्र इस हिंसा प्रदर्शन मे शामिल रहें, जिसकी वजह से शेख हसीना देश छोड़ने पर मजबूर हो गई.
दूसरा पाकिस्तान न बन जाए बांग्लादेश
इसे पहले भी तस्लीमा सरीन ने कहा कि शेख हसीना अपने आज की स्थिति के लिए खुद जिम्मेदार है. उन्होंने खुद को भ्रष्टाचार में शामिल किया और इस्लामवादियों को बढ़ाने में श्रेय दिया. कहीं बांग्लादेश भी दूसरा पाकिस्तान न बन जाए. सैन्य को देश में शासन (Bangladesh Army Rule) नहीं करना चाहिए. जबकि देश में राजनीतिक दलों को लोकतंत्र और धर्मनिक्षेपता को लनाना चाहिए.
जानें कौन हैं? तस्लीमा नसरीन
तस्लीमा नसरीन एक मशहूर लेखिका है. जो हमेशा से कट्टरपंथों के खिलाफ अपने विचार लिखती है.साल 1993 में तस्लीमा नसरीन ने लज्जा नाम की एक पस्तक लिखी थी, जिसते प्रकाशित होने के बाद कट्टरपंथी संगठनों के द्वारा उन्हें जान से मारने की धमकी मिलने लगी. जिसके बाद उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए साल 1999 में बांग्लादेश छोड़ संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में करीब दस साल बिताएं. उसके बाद साल 2004 में वह हमेशा के लिए भारत आ गई.
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