प्रियंका कौशल
राजस्थान के एक शहर उदयपुर में 28 जून 2022 की सुबह बिल्कुल आम दिनों जैसी ही थी. लोग अपने-अपने कामों पर जा रहे थे. उदयपुर का रहने वाला एक आम सा दर्जी कन्हैयालाल भी रोज की तरह अपनी टेलर शॉप पर पहुंचा. कन्हैयालाल, एक दुबला-पतला, निर्बल सा आम आदमी, जो लोगों के कपड़े सिलकर अपना घर चलाता था. उसी दिन दो मुस्लिम युवकों रियाज अतरी और गौस मोहम्मद खां ने उसकी दुकान में घुसकर निर्मम हत्या कर दी. कन्हैया लाल की हत्या करते समय “अल्लाह हू अकबर” और “गुस्ताख ए रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा”, जैसे नारे भी लगाए. हत्यारों ने हत्या का वीडियो भी बनाया और सोशल मीडिया पर जारी कर दिया. दोनों हत्यारे रियाज अंसारी और मोहम्मद गौस बाइक पर आए थे. कपड़े का नाप देने का बहाना बनाकर दुकान में घुसे. कन्हैयालाल पर तलवार से कई हमले किए गए. मौके पर ही उन्होंने दम तोड़ दिया.
कन्हैयालाल का अपराध क्या था? उसने अपनी हत्या से 10 दिन पहले भाजपा की तत्कालीन प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली थी. इसके बाद मुसलमान उसे जान से मारने की धमकी दे रहे थे. भारत में इस्लामिक कट्टरता को फैलाते मुसलमानों का आसान हथियार है मॉब लिंचिंग और इनका टारगेट है हिन्दू. भारत में इस्लामिक आक्रमणों के समय से ही इस्लामिक कट्टरता हावी होती चली गयी थी. इस आधुनिक विज्ञान के युग मे भी इस कबीलाई मानसिकता का शिकार देश का हिन्दू हो रहा है. इस्लाम को तलवार के डर पर फैलाने वाले मुस्लिम, गजवा-ए-हिन्द का सपना देखने वाले मुस्लिम छोटी-छोटी बातों का बहाना लेकर हिंदुओं का सर कलम कर रहे हैं.
मुसलमानों द्वारा हिंदुओं की मॉब लिंचिंग की फेहरिस्त इतनी लम्बी है, गिनाते-गिनाते उंगलियां थक जाएं. राजस्थान में कन्हैया लाल की हत्या के पहले किशन भरवाड़ की गुजरात में, उमेश कोल्हे की महाराष्ट्र में इसी तरह निर्मम हत्या हुई. 2019 में लखनऊ में कमलेश तिवारी की हत्या भी आपको स्मरण होगी. कथित तौर पर नबी निंदा के नाम पर कमलेश तिवारी के घर पहुंचकर उससे मिलने के बहाने उसका गला रेत गया था.
अच्छा, आपको कुछ याद हो न हो, महाराष्ट्र के पालघर में हिन्दू नागा साधुओं की लिंचिंग तो आप लोगों को याद ही होगी. पालघर में हुई महाराज कल्पवृक्ष गिरी, सुशील गिरी और उनके ड्राइवर निलेश तेलगड़े की मॉब लिंचिंग के वीडियो को देखने वाला हर भारतीय सिहर उठा था. आज भी पालघरमॉब लिंचिंग में मारे गए साधुओं की करूण आंखें याद आती हैं तो मन पीड़ा से भर उठता है. पुलिस की मौजूदगी में हिंसक भीड़ ने हिन्दू साधुओं को दौड़ाकर मारा था. उनका अपराध केवल यही था कि वह अपनी यात्रा के दौरान पालघर क्षेत्र से गुजर रहे थे. अपने ही देश में कहीं से गुजरना भी हिन्दुओ के लिए अब अपराध हो गया.
इस्लामिक कट्टरपंथी बच्चों को भी नहीं छोड़ रहे हैं. साल 2013 में 30 सितंबर को पंजाब के मलेरकोटला में कुछ जिहादियों ने हिन्दू बच्चे विभु जैन का बेरहमी से कत्ल किया था. जिस समय विभु का अपहरण हुआ वह 12 साल का था. बाद में सच सामने आया कि कट्टरपंथियों ने उसे जिंदा जला दिया. बंगाल के मुर्शिदाबाद इलाके में बंधु प्रकाश पाल, उनकी सात माह की गर्भवती पत्नी, तथा आठ साल के मासूम बेटे की ह्दयविदारक हत्या ने तो पूरे देश को झकझोर के रख दिया था. 8 अक्टूबर 2019 को धारदार हथियार से गला काटकर हत्या कर दी गई थी. जिसने सबको हिलाकर रख दिया था. बंधु प्रकाश पाल, उनकी गर्भवती पत्नी व बेटे के शव का वीडियो आज भी जब आंखों के सामने आता है, तो हत्यारों की निर्ममता व नृशंसता देखकर आत्मा कांप उठती है.
हाल के वर्षों में देश के अलग अलग हिस्सों में हुई मॉब लिंचिंग में मृत हिंदुओं के नाम और उनके साथ हुई घटनाओं का विवरण देखिए तो आप सिहर उठेंगे. उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में 16 मई 2019 को इमरान, तुफैल, रमजान और निजामुद्दीन ने विष्णु गोस्वामी को पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया. विष्णु अपने पिता के साथ लौटते हुए सड़क के किनारे लगे नल पर पानी पीने लगा था. बस इसी दौरान कट्टरपंथियों ने बिना किसी बात के विष्णु को बूढ़े पिता के सामने ही पेट्रोल डालकर आग के हवाले कर दिया.
तमिलनाडु में वी राम लिंगम की हत्या 7 फरवरी को पट्टाली मक्कल काची के नेता की घर से बाहर खींचकर कर दी गई. इस मामले में पुलिस ने पांच लोगों को हिरासत में लिया, जिनका नाम निजाम अली, सरबुद्दीन, रिज़वान, मोहम्मद अज़रुद्दीन और मोहम्मद रैयाज था. बेटी के साथ छेड़खानी का विरोध करने पर 51 वर्षीय ध्रुव त्यागी को 11 मुसलमानों ने सबके सामने घेरकर मारा था. इन हत्यारों ने ध्रुव त्यागी के बेटे पर भी हमला किया था. दो आरोपियों मोहम्मद आलम और जहांगीर खान की तत्काल ही शिनाख्त हो गयी थी, इसके बाद पुलिस को पड़ताल में बाकी 9 नाम भी सामने आए थे.
कासगंज में तिरंगा यात्रा के दौरान हुई हिंसा में मारे गए अभिषेक उर्फ चंदन गुप्ता की हत्या कट्टरपंथियों ने कर दी थी. चंदन 26 जनवरी के मौके पर विहिप और एबीवीपी की तिरंगा यात्रा में शामिल हुए थे. जहां मुस्लिम बहुल इलाके में उनपर छत से गोली चला दी गई. घटना में चंदन की मौत हो गई और बाद में पुलिस ने मुख्य आरोपित सलीम को गिरफ्तार किया. 5 जुलाई साल 2017 में को हिना तलरेजा का शव मिला. पुलिस जांच के बाद मालूम हुआ कि हिना के पति अदनान ने पहले अपनी आंखों के सामने अपने दोस्तों से उसका गैंगरेप करवाया और फिर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी. बाद में शव को कौशांबी जिले के एक हाइवे पर फेंककर फरार हो गया.
कए फरवरी 2018 को मुस्लिम गर्लफ्रेंड के परिवार वालों ने दिल्ली के टैगोर गार्डन की एक गली में सबके सामने अंकित शर्मा मौत के घाट उतारा. मुस्लिम लड़की ने खुद बताया था कि उसके परिवारवालों ने उसके प्रेमी अंकित को मारा. साल 2015 में कर्नाटक के सबसे संवेदनशील मेंगलुरु से 40 किलोमीटर दूर मूदबिद्री में 9 अक्टूबर को बीच बाजार में देर शाम को प्रशांत पुजारी की बेहरमी से हत्या की गई. इस मामले में पुलिस ने हनीफ, इब्राहिम, इलियास और अब्दुल रशीद को गिरफ्तार किया. पड़ताल में मालूम हुआ कि प्रशांत को साजिश के तहत मारा गया. वे एक गौ रक्षक थे. जिन्होंने अपने दल के साथ कई बार मवेशियों से लदे ट्रक और लॉरियों को जब्त करवाया था.
अलीगढ़ के टप्पल में मोहम्मद जाहिद और मोहम्मद असलम ने केवल 10 हजार के लिए एक बच्ची के साथ बेरहमी की हर हद पार कर दी. उन्होंने बच्ची को मारने से पहले 8 घंटे उसे इतना पीटा कि उसकी आंख तक डैमेज हो गई. बाद में उसका शव भी ऐसी जगह फेंका जहां उसे कुत्तों ने बुरी तरह नोचा था. 3 दिसंबर 2018 को स्याना के चिंगरावठी में हुई हिंसा में सुबोध सिंह की हत्या हुई. उनके अलावा इस घटना में 2 और लोगों को मारा गया.
साल 2016 में दिल्ली के विकासपुरी में पंकज नारंग की हत्या की गई. इसमें 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इनमें 4 नाबालिग थे. उनकी मौत का कारण सिर्फ ये था कि उन्होंने अपने भांजे के साथ क्रिकेट खेलने के दौरान कुछ लोगों को मना किया था कि वे गाड़ी तेज न चलाएं. जिसके बाद उन लोगों ने पंकज नारंग पर हमला कर दिया. साल 2017 में दिल्ली में रहकर एयर होस्टेस की ट्रेनिंग ले रही रिया गौतम की हत्या आदिल नाम के हत्यारे ने की थी. रिया आदिल की पड़ोसी थी और उसकी उससे कई साल से दोस्ती थी. लेकिन एक दिन उसने आदिल से मिलने से मना कर दिया जिसके बाद आदिल ने उसे एक दिन चाकू से गोद डाला. इस मामले में पुलिस ने आदिल के साथ उसके 2 दोस्तों को भी गिरफ्तार किया था. जिनका नाम जुने सलीम अंसारी और फाजिल राजू अंसारी था.
कट्टरपंथियो के खिलाफ मुखर होकर बोलने वाले हिन्दू नेता कमलेश तिवारी की मौत ने साल 2019 में सबको झकझोर दिया. जब जांच हुई तो इसके पीछे न एक लंबी साजिश का खुलासा हुआ, बल्कि कट्टरपंथियों की उस हकीकत का भी जो अहमदाबाद से लेकर यूपी तक फैली थी. हैदराबाद का वो मामला जिसने सबको झकझोर दिया. शमसाबाद के टोल प्लाजा के पास घटी घटना में मुख्य आरोपित मोहम्मद पाशा था. जिसने अपने अन्य तीन साथियो के साथ मिलकर एक महिला डॉक्टर का गैंगरेप किया. फिर उसे पेट्रोल डालकर जलने को छोड़ दिया.
24-25 फरवरी को उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में वीरगति को प्राप्त हुए रतन लाल का नाम नहीं भुलाया जा सकता. एक ऐसा वीर जिसने दिल्ली को जलने से रोकने के लिए खुद को इस्लामिक भीड़ की बलि चढ़ा दिया. उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स से पता चला था कि पत्थरबाजी के कारण नहीं बल्कि रतन लाल की मौत गोली लगने के कारण हुई थी. दिल्ली में हुई हिन्दू विरोधी हिंसा में मरने वालों में एक नाम 51 वर्षीय विनोद कुमार का है. जिन्हें मुस्लिम आतताइयों ने “अल्लाह हू अकबर” के नारे लगाते हुए मौत के घाट उतारा और उनकी लाश भेजकर अन्य लोगों को संदेश दिया कि उन्हें रात भर ऐसी लाशें मिलती रहेंगी.
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों के दौरान आईबी के अंकित शर्मा की निर्मम तरीके से हत्या हुई थी. उन्हें मारने के दौरान उनपर 400 बार चाकुओं से हमला हुआ था. करीब 6 लोगों ने 2 से 4 घंटे तक उन्हें गोदा था. सीएए के समर्थन में 23 जनवरी को आयोजित रैली में शामिल होने पर लोहरदगा के नीरज प्रजापति को मुस्लिमों की हिंसा का शिकार होना पड़ा था. ये सूची यहीं खत्म नहीं होती. ये तो कुछ ही नाम हैं, जिन्हें इस्लामिक कट्टरपंथियों ने अपना निशाना बनाया. लेकिन मुसलमानों की हिंसक भीड़ के शिकार हिंदुओं की चर्चा देश और दुनिया में कहीं नहीं होती. ये सूची बहुत लंबी है. इसमें मुसलमान युवकों द्वारा लव जिहाद के नाम पर मारी जा रही हिन्दू युवतियों की संख्या भी जोड़ दी जाए तो आंकड़ा सैकड़ा पार चला जायेगा.
सबसे बड़ा आश्चर्य तो इस बात पर कि कट्टरपंथियों द्वारा की इन हत्याओं पर तथाकथित सेकुलर चेहरे व मीडिया की चुप्पी बांधकर बैठ गया. दूसरा आश्चर्य ये की जब-जब हिन्दुओं की निर्मम हत्या हुई तो सेकुलर मीडिया व गिरोह यह साबित करने में जुट गया इन घटनाओं में साम्प्रदायिकता नहीं ढूंढी जानी चाहिए. भारत मे पिछले कुछ वर्षों में हिन्दुओं की सरेआम लिंचिंग हुई, तो चर्चा भी नहीं हुई. वामपंथियों, कट्टरपंथियों, मीडिया, बात-बात में अवार्ड लौटने वाले लोग, कथित बुद्धिजीवी, बॉलीवुड अभिनेताओं ने मौन धारण कर लिया. इसका कारण था कि जिनकी लिंचिंग की गई वह हिन्दू थे और उन्हें मारने वाले इस्लामिक भीड़ का हिस्सा थे.
एक प्रश्न तो उनसे जरूर पूछा जाना चाहिए जो मुस्लिमों को पीड़ित देखकर देश के लोकतंत्र को खतरे में बताने लगते हैं, लेकिन लोग हिन्दुओं की हत्याओं पर मुंह और आंखों पर पट्टी बांध लेते हैं. विचार तो इस पर भी किया जाना चाहिए कि क्या हिन्दुओं की जान इतनी सस्ती है? या फिर हम किसी बड़े षडयंत्र का शिकार हैं. मुस्लिमों को पीड़ित देखकर देश के लोकतंत्र को खतरे में बताने वाले लोग हिंदुओं की हत्याओं पर मुंह और आंखों पर पट्टी बांध लेते हैं.
(लेखिका, वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तम्भकार हैं.)
साभार – हिंदुस्थान समाचार